भूतिया जहाज़ की रियल स्टोरी | Real Story in Hindi

Real Story in Hindi: यह अजीब सच्ची कहानी तब शुरू होती है जब एक ब्रिटिश व्यापारी जहाज़, वीरान अटलांटिक महासागर के एक समुद्र तट से गुजर रहा था, उसके कप्तान की नजर दूर एक ऐसे जहाज पर पड़ी जो न तो हिल रहा था और न ही उसके संकेतों का जवाब दे रहा था।

करीब जाने पर पता चला कि यह जहाज सुनसान समंदर में सिर्फ लहरों के सहारे अकेले खड़ा था। हैरानी की बात तो ये थी कि जहाज के अंदर क्रू मेम्बर्स यानि काम करने वालों का सामान, खाना, पानी और सारा माल पूरी तरह से सुरक्षित था, लेकिन अगर नहीं थे तो क्रू यानी लोग मौजूद नहीं थे।

सारे लोग बिना किसी निशान को छोड़े गायब हो चुके थे। यह है मैरी सेलेस्ट की वो कहानी जिसने पिछले 150 सालों से इतिहासकारों को हैरत में रखा है। वह रहस्य जिसे समुद्र के अलावा कोई नहीं जानता। Story World में आपका फिर से स्वागत है।

Horror Real Story in Hindi | भूतिया जहाज़ की सच्ची कहानी

दोस्तों यह जहाज़ 1861 में कनाडा में बनाया गया था और उस समय इसका नाम अमेज़ॅन रखा गया था अपनी पहली कई यात्राओं में इसे छोटी-मोटी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा, यही कारण है कि यह जहाज दुर्घटनाओं के बारे में काफी फेमस था।

Real Story in Hindi
Real Story in Hindi

लेकिन अभी तक इस जहाज़ ने कोई बड़ी दुर्घटना का सामना नहीं किया था। एक कप्तान से दूसरे कप्तान को बेचने के क्रम में जब इस जहाज़ का कप्तान बेंजामिन ब्रिग्स बनें, तब इसका नाम Mary Celeste (मैरी सेलेस्ट) रखा गया।

सात नवंबर 1872 को न्यूयॉर्क में एक खुशगवार दिन था। मैरी सेलेस्ट जहाज़ किनारे पर खड़ा था और उस पर सामान लादा जा रहा था। मैरी सेलेस्ट में 1700 बैरल इथेनॉल शराब के भरे गए, जो पीने वाले नहीं बल्कि फैक्ट्री में इस्तेमाल होने वाले अल्कोहल थे। ये सारे बैरल न्यूयॉर्क से इटली के शहर बजरिया, अटलांटिक महासागर से होते हुए ले जाने थे।

इस जहाज़ में करीब 10 लोग सवार थे, जिसमें जहाज़ के कप्तान बेंजामिन, उनकी बीवी और 2 साल की बच्ची समेत 7 क्रू मेंबर भी मौजूद थे। सफर शुरू करने से पहले जहाज़ में कोई मसला नहीं था और वह आराम से बिना किसी रुकावट के सफर पर निकल पड़ा।

यह सफर लगभग 7500 किमी लंबा था और आम तौर पर उस युग में इतनी लंबी यात्रा में कई दिन नहीं बल्कि कई हफ्ते लगते थे। याद रखें, उस समय captain के साथ कांटेक्ट करने के लिए कोई जीपीएस या एडवांस्ड कम्युनिकेशन डिवाइस भी नहीं होते थे।

मैरी सेलेस्ट शिप की रियल स्टोरी

मैरी सेलेस्ट को न्यूयॉर्क से निकले 3 हफ्ते बीत चुके थे और कायदे के मुताबिक अब कई हफ्तों के बाद, जेनेवा के बंदरगाह पर उसके आने का इंतज़ार बढ़ता जा रहा था। लेकिन इतने समय के बाद भी, मैरी सेलेस्ट का कोई अता-पता नहीं था, यहाँ तक कि मैरी सेलेस्ट के बाद न्यूयोर्क से निकले जहाज़ अब जेनेवा तक पहुँचने लगे।

अब परेशानी बढ़ते जा रही थी कि, आखिर मैरी सेलेस्ट इतने हफ्ते गुजरने के बाद मंज़िल पर क्यों नहीं पहुँच पायी। मैरी सेलेस्ट के रवाना होने के 10 दिन बाद एक और ब्रिटिश जहाज़ को इसी रास्ते से गिब्रालटर तक जाना था। यह जहाज़ Dei Gratia नामी एक ब्रिटिश व्यापारी जहाज था जो कई हफ्तों के बाद 4 दिसंबर 1872 को अज़ोरेस द्वीप के पास पहुंचा।

समुंद्री लुटेरों, ख़ज़ाने की रोमांच से भरी कहानी

यह समुन्द्र का वह हिस्सा है, जहाँ नीले आसमान और समुन्द्र के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता। वहां शिप के कप्तान को दूर एक जहाज़ खड़ी दिखाई पड़ी। कप्तान ने नोटिस किया कि वह शिप पानी पर आगे नहीं बढ़ रही है, वह सिर्फ एक ही जगह खड़ी है।

समुन्द्र में ऐसे मंज़र को देख कर कप्तान को शक हुआ और उसने दूर से ही उस शिप को कई सिगनल भेजे। लेकिन जब आगे से कोई जवाब नहीं आया तब कप्तान ने उस शिप के करीब जाने का फैसला किया। करीब जाने पर पता चला कि यह शिप यानि जहाज़ कोई और नहीं बल्कि कप्तान के दोस्त की ही मैरी सेलेस्ट शिप थी।

मैरी सेलेस्ट को न्यूयोर्क से निकले अब पूरा एक महीना बीत चूका था। मैरी सेलेस्ट अटलांटिक महासागर में जिब्रालटर से 1700 किमी दूर एक दम तन्हा खड़ी थी।

Dei Gratia के कप्तान ने अपने क्रू मेंबर्स को मैरी सेलेस्ट पर भेजा जो यह देख कर हैरान रह गए कि जहाज़ पर कोई भी मौजूद नहीं है। एक महीन पहले जो 10 लोग न्यूयोर्क से अच्छे-खासे निकले थे, वो समुन्द्र में आखिर कहाँ समां गए। यही सवाल अब Dei Gratia के कप्तान को भी खाये जा रहा था।

पहले तो उन्हें लगा कि जहाज़ पर कोई हादसा हुआ होगा, लेकिन जब उन्होंने मैरी सेलेस्ट का जायज़ा लिया तो उन्होंने पाया कि जहाज़ पर किसी भी तरह का कोई हादसे का निशान नहीं है।

कप्तान और उनके परिवार का सारा सामान और क्रू मेंबर्स के कपड़े तक भी ऐसे दिख रहे थे जैसे किसी ने छुआ भी न हो। इतना ही नहीं, जो बैरल लेकर ये लोग जेनेवा जा रहे थे, सब सही सलामत थे। यहां तक ​​कि जहाज में क्रू के लिए जो भोजन का भंडार था वो भी अभी वैसे ही पड़ा था।

थोड़ा और जांच करने से कप्तान के कमरे से एक लॉग बुक मिल गई। यह लॉग बुक पहले जहाज के कप्तान रखते थे, जिसमें जहाज के रखरखाव और मरम्मत के बारे में लिखा जाता था। उस लॉग बुक में मैरी सेलेस्ट के कप्तान ने आखिरी एंट्री 25 नवम्बर की सुबह 8 बजे की थी।

यानि जिस दिन यह जहाज़ इस हालत में पाया गया उससे 10 दिन पहले, यानी जहाज़ लगभग 10 दिनों से वीरान अटलांटिक महासागर में खड़ा था।

डी ग्रैटिया का कप्तान पूरी घटना को देख रहा था, लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया, तभी उसकी नज़र लाइफ बोर्ड के सेक्शन पर पड़ी, जहाँ उन्हें लाइफ बोर्ड नजर नहीं आया।

इसका मतलब केवल यह हो सकता है कि जहाज पर कुछ हुआ होगा और सभी लोग बचाकर लाइफ बोर्ड ले कर भागे हैं। कप्तान के केबिन में नेविगेशन उपकरण भी गायब थे और उनके बिस्तर के नीचे एक तलवार उसके कवर में बंद पाई गई, जो एक संकेत है कि जहाज़ पर कोई हमला नहीं हुआ था, वरना तलवार उसके मयान से बाहर होती, या वहां होती ही नहीं।

लॉग बुक के अलावा दूसरे डॉक्यूमेंट भी वहीं मौजूद थे। एक और बात देखी गई कि जहाज का केबिन हर जगह गीला था और कई जगहों पर दो फुट तक पानी भी जमा था, लेकिन यह इतना नहीं था कि जहाज को नुकसान पहुंचा सके।

आपको बता दें कि International Salvage Law के मुताबिक, अगर कोई भी किसी जहाज को बचाता है, तो उसे जहाज के मूल्य के हिसाब से इनाम दिया जाएगा। इसी लॉ का फायदा उठाते हुए डी ग्रेडिया के कप्तान, मैरी सेलेस्ट को लेकर जिब्राल्टर तक ले गए।

जहां अधिकारियों ने जहाज को अपने कब्जे में तब तक रखा जब तक कोर्ट का फैसला न आ गया। कोर्ट ने भी अपने हिसाब से जांच की पर कई तारीख-पे-तारीख के बावजूद इस मुद्दे को सुलझाने में असफल रही।

जिसके बाद लोगों ने तरह-तरह की कहानियां बनानी शुरू कर दीं। कुछ ने कहा कि आसमान से कोई चीज़ आयी और मैरी सेलेस्ट के लोगों को उठा कर ले गयी, तो कई ने कहा कि समुन्द्र से कोई शैतान निकला और सबको निगल गया।

Ghost Ship की रियल स्टोरी

इन सभी मनगढ़ंत बातों में एक बात सच थी कि मैरी सेलेस्ट जब से बनी थी, तब से इसके साथ दुर्घटनाएं होती रही थीं। एक बार वह दूसरे जहाज से टकरा गया, लेकिन मामूली टक्कर के बावजूद वह जहाज समुन्द्र में डूब गया। इसके बाद मैरी सेलेस्ट को जब मरम्मत के लिए बंदरगाह पर लाया गया, तो मरम्मत से पहले बंदरगाह पर खुद ही आग लग गई।

वहीँ एक बार तो इसको सफर में जाने से पहले, इसका कप्तान अचानक बीमार हो गया और मर गया। इन घटनाओं के वजह से यह माना जाने लगा कि मैरी सेलेस्ट पर जिन्नों और आत्माओं का राज है, जिसके कारण यह ताजा दुर्घटना हुई है और तभी मैरी सेलेस्ट को Ghost Ship यानि भूतिया जहाज़ का खिताब भी दे दिया जाने लगा।

लेकिन हकीकत में उस दिन हुआ क्या था इसके बारे में कुछ थ्योरी यानि सिद्धांत हैं, जिनपर एक-एक करके नज़र डालते हैं। पहला सिद्धांत गद्दारी के बारे में है। कई लोगों का मानना है कि डी ग्रैटिया के कप्तान ने ही सारे क्रू मेंबर्स को मारकर सालवेज लॉ का मुनाफा पाने के लिए ये सारा ड्रामा रचा है।

परियों की स्टोरी हिंदी में

लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यदि ऐसा हुआ था तो जहाज पर कहीं न कहीं खून खराबे के निशान रहे होंगे, अब यहां या तो डी ग्रैटिया के कप्तान ने सारे निशान मिटा दिए, या फिर यह थ्योरी ही गलत है।

दूसरी थ्योरी बहुत दिलचस्प है। इस थ्योरी में यह कहा जाता है कि जहाज पर 1700 बैरल अल्कोहल थी, लेकिन जब जहाज को अधिकारियों के पास लाया गया, तो उनमें से 9 बैरल खाली थे।

हो सकता है कि अल्कोहल के कुछ बैरल में एक विस्फोट हुआ हो जिसके कारण क्रू मेंबर्स लाइफ बोर्ड में बैठ कर जान बचा कर भाग गए। लेकिन जहां बैरल थे वहां विस्फोट या आग का कोई निशान नहीं मिला।

तीसरा सिद्धांत यह है कि जहाज समुंद्री तूफान में फंस गया था और इसमें पानी भरने लगा था, यही देखते हुए कप्तान ने जहाज को खाली करने का फैसला किया और फिर वे सभी छोटे लाइफ बोर्ड में बैठ कर भाग गए। लेकिन यह छोटी लाइफ बोर्ड समुंद्री लहरों का सामना नहीं कर पायी और सब की जान ले गयी हो।

यह सिद्धांत काफी हद तक सही मालूम होती थी, लेकिन यह केवल एक सिद्धांत है। सिद्धांत तो कई हैं, लेकिन एक भी सिद्धांत सबूत के साथ सिद्ध नहीं किया जा सका।

रियल स्टोरी इन हिंदी

उम्मीद मैं मेरी यह Real Story in Hindi भी आपको पसंद आयी होगी, हमेशा की तरह इसे भी खूब शेयर कीजिये। अपना और अपनों का ख़याल रखिये, मिलते हैं अगले पोस्ट में, शुक्रिया।

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