बहुत साल पहले की बात है।
बंगाल के एक छोटे से गाँव धूलपुरा में एक गरीब लड़का रहता था – सलीम।
उसके पापा रशीद खेतों में मजदूरी करते थे, और माँ अमीना लोगों के घरों में काम करती थी।
घर मिट्टी का था, छप्पर टपकता था, लेकिन उस घर में सच्चाई, ईमानदारी और प्यार की कोई कमी नहीं थी।
सलीम बचपन से ही समझदार और मेहनती था।
वो हमेशा कहता,
“अम्मी, एक दिन मैं कुछ बड़ा करूँगा… ताकि आप लोगों को कभी गरीबी न देखनी पड़े।”
माँ मुस्कुराकर कहती,
“बेटा, सच्चाई और मेहनत करने वाला कभी खाली नहीं जाता।”
गाँव में स्कूल नहीं था, तो सलीम मिट्टी पर लकड़ी से अक्षर लिख-लिखकर पढ़ाई करता था।
उसे दुनिया देखने की बहुत चाह थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था…
वो डरावनी रात
एक दिन सलीम अपने दोस्तों के साथ समुन्द्र किनारे खेल रहा था।
अचानक दूर से कुछ बड़ी नावें आईं।
उनमें डरावने लोग थे – समुद्री डाकू यानी पाइरेट्स।
सब बच्चे भागे, सलीम का दोस्त आरव पकड़ा गया,
अपने दोस्त को बचाने के लिए सलीम बड़ी बहादुरी से डाकुओं से भीड़ गया,
ऐसे में आरव को बच कर भागने का मौका तो मिल गया पर अब सलीम पकड़ा गया।
किसी ने उसके मुँह पर कपड़ा रख दिया, और बस, सब अंधेरा हो गया।
जब होश आया, तो उसने खुद को नाव में बंधा हुआ पाया।
चारों तरफ पानी था, उस नाव पर और भी बच्चे थे और बच्चे डर से रो रहे थे।
एक डाकू चिल्ला रहा था,
“इन्हें मिस्र ले चलो, अच्छे दाम मिलेंगे!”
सलीम डर गया, पर रोया नहीं।
उसने मन में कहा,
“शायद खुदा ने मेरे लिए इसमें कुछ अच्छा सोचा है, मैं हार नहीं मानूँगा।”
मिस्र की रेत और गुलामी
कई दिनों बाद वो लोग मिस्र पहुँचे।
वहाँ एक बड़ा बाज़ार था – गुलामों का बाज़ार।
जहाँ इंसान जानवरों की तरह बेचे जा रहे थे।
सलीम को एक अमीर व्यापारी हाकिम बेय ने खरीद लिया।
हाकिम बहुत सख्त और गुस्से वाला आदमी था।
वो नौकरों से बहुत बुरा बर्ताव करता था।
लेकिन सलीम हमेशा चुपचाप मेहनत करता रहा।
ना झूठ बोला, ना चोरी की।
हर कोई हैरान था कि इतना छोटा बच्चा इतना समझदार कैसे है।
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चोरी का इल्ज़ाम
एक दिन हाकिम के घर से सोने का प्याला गायब हो गया।
गुस्से में हाकिम ने सलीम को पकड़ लिया और बोला,
“तूने मेरा सोना चुराया!”

सलीम बोला,
“मालिक, मैंने कुछ नहीं किया। अगर झूठ बोल रहा हूँ तो मेरी जान ले लीजिए।”
लेकिन सच्चाई ज्यादा दिन छिपी नहीं।
कुछ दिन बाद असली चोर पकड़ा गया – हाकिम का ही दूसरा नौकर,
जो हमेशा हाकिम को चापलूसी किया करता था।
हाकिम को बहुत शर्म आई।
उसने सलीम से माफी माँगी और कहा,
“बेटा, मुझसे बहुतबड़ी गलती हो गयी, अब से तुम मेरे लिए नौकर नहीं, बेटे जैसे हो।”
ईमानदारी का फल
साल गुजरते गए।
सलीम बड़ा हुआ, मिस्र की भाषा, कारोबार और नियम सब सीख गया।
उसकी सच्चाई और मेहनत की चर्चा पूरे मिस्र में होने लगी।
लोग उसे “सच्चा सलीम” कहने लगे।
मिस्र के राजा फारुक तक उसकी बात पहुँची।
राजा ने सलीम को बुलाया और पूछा,
“सुना है तुम कभी झूठ नहीं बोलते?”
सलीम बोला,
“महाराज, एक सच्चा मुसलमान कभी झूठ नहीं बोल सकता, झूठ से जीत तो मिल सकती है, पर चैन नहीं।”
राजा को उसका जवाब बहुत पसंद आया।
उसने सलीम को अपने महल में सलाहकार बना लिया।
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जंग और सलीम की बहादुरी
कुछ साल बाद मिस्र पर दूसरे देश ने हमला कर दिया।
राजा घायल हो गया और सेना डर के मारे भागने लगी।
तब सलीम आगे आया,
उसने अपनी जिंदिगी में इतना कुछ झेला था कि वो अब बहुत तजुर्बे वाला
सही निर्णय लेने वाला बहादुर बन चूका था।
उसने सेना को संभाला, योजना बनाई और खुद मोर्चे पर उतर गया।
उसकी हिम्मत और समझदारी से मिस्र की जीत हुई।
पूरा देश सलीम के नाम के नारे लगाने लगा।
राजा फारुक ने दरबार में कहा,
“मिस्र का असली हीरो सलीम है।
इसमें राजा बनने के सारे गुण हैं,
आज से यही मिस्र का नया राजा होगा।”

राजा बनकर भी सलीम वैसा ही रहा
राजा बनने के बाद भी सलीम ने अपनी जड़ों को, अपनी ज़मीं को नहीं भुलाया।
उसने सबसे पहले अपना गाँव धूलपुरा ढूँढा।
कई महीनों की खोज के बाद आखिरकार वो वहाँ पहुँचा।
गाँव में सब उसे पहचान नहीं पाए
कौन सोच सकता था कि मिट्टी में खेलने वाला सलीम अब मिस्र का राजा है!
वो सीधा अपनी माँ अमीना के घर पहुँचा।
माँ बुज़ुर्ग हो चुकी थी, आँखों में धुंधलापन था, पर जैसे ही उसने बेटे की आवाज़ सुनी,
वो रो पड़ी और बोली,
“मुझे पता था बेटा, तू भले राजा बने या न बने पर तू सच्चा ज़रूर रहेगा।”
सलीम ने अपनी माँ को गले लगाया और कहा,
“अम्मी, आज जो कुछ हूँ, आपकी दुआओं से हूँ।”
उसने गाँव में स्कूल, अस्पताल, कुएँ और रोजगार के केंद्र बनवाए।
फिर मिस्र लौटकर उसने कानून बनाया कि
“अब कभी किसी इंसान को गुलाम नहीं बनाया जाएगा।”
राजा सलीम का राज
राजा सलीम ने मिस्र को सबसे ईमानदार और खुशहाल देश बना दिया।
वो कहता था,
“राजा वो नहीं जो ताज पहनता है,
राजा वो है जो सच्चाई से राज करता है।”
उसने गरीबों को सम्मान दिया, झूठे और लालची लोगों को सज़ा दी,
और मिस्र को “ईमानदारी की धरती” बना दिया।
कहानी से सीख
सलीम की कहानी हमें ये सिखाती है कि
गरीबी इंसान को नहीं गिराती – झूठ और डर गिराते हैं।
अगर दिल में सच्चाई और हिम्मत हो,
तो दुनिया कि कोई चीज़ तुम्हे रोक नहीं सकती।
सलीम वो लड़का था जिसे बेचा गया, इतनी कम उम्र में माँ बाप और सबसे जुदा कर दिया गया,
लेकिन उसने खुद को कभी “बेचारा” नहीं माना।
वो राजा बना क्योंकि उसने कभी सच्चाई नहीं छोड़ी।
कभी-कभी लगता है, हम सबके अंदर भी एक सलीम छिपा है –
जो बस एक मौका चाहता है, अपनी सच्चाई और मेहनत से दुनिया बदलने का।
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