3 अच्छी-अच्छी नैतिक कहानियां | Hindi Long Stories with Moral

Hindi Long Stories with Moral में हम 3 नैतिक शिक्षा वाली अच्छी अच्छी कहानियां पढ़ने वाले हैं। मोरल स्टोरीज पढ़ने से हमें कई अच्छी बातें पता चलती हैं, जिनका हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव होता है, और तो और हमारी हिंदी रीडिंग भी अच्छी होती है। तो अब बिना देर किये पढ़ते हैं इन मज़ेदार नैतिक कहानियों को।

पहली कहानी – सच्चाई की जीत

बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में राम नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत गरीब था, लेकिन उसकी ईमानदारी और सच्चाई की हर कोई सराहना करता था। उसके माता-पिता उसे सिखाते थे कि हमेशा सच बोलो और ईमानदारी से जीवन जिओ। राम इन शिक्षाओं का पालन करता था और कभी झूठ नहीं बोलता था।

गाँव के पास ही एक बड़ा नगर था, जहाँ का राजा बहुत न्यायप्रिय था। वह हमेशा अपने राज्य के लिए एक सच्चा और ईमानदार उत्तराधिकारी ढूँढने की कोशिश करते रहता था। राजा की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उसने निश्चय किया कि वह अपने राज्य के लिए एक योग्य व्यक्ति को उत्तराधिकारी यानि अगला राजा बनाएगा। उसने पूरे राज्य में घोषणा करवाई कि जो भी व्यक्ति ईमानदारी की परीक्षा में सफल होगा, वही उसका उत्तराधिकारी बनेगा।

राजा ने घोषणा की कि सभी युवा लड़कों को महल में बुलाया जाएगा और उन्हें एक बीज दिया जाएगा। यह बीज उन्हें अपने घर में लगाकर एक साल तक उसकी देखभाल करनी होगी। जो भी लड़का सबसे सुंदर और हरा-भरा पौधा उगाएगा, वही राजा का उत्तराधिकारी बनेगा

राम को भी यह खबर मिली और वह भी महल पहुँचा। वहाँ अन्य लड़कों की तरह उसे भी एक बीज मिला। वह बड़े उत्साह से घर आया और उसने मिट्टी को अच्छे से तैयार कर उसमें वह बीज लगा दिया। उसने रोज उस पौधे को पानी दिया और उसकी देखभाल की।

समय बीतता गया, लेकिन राम के गमले में कोई पौधा नहीं उगा। वह बहुत चिंतित था, लेकिन उसने हार नहीं मानी और रोज उस बीज की देखभाल करता रहा। इधर, अन्य सभी लड़कों के गमलों में सुंदर-सुंदर पौधे उग आए थे। वे बहुत खुश थे और अपने पौधों को राजा को दिखाने के लिए उत्साहित थे।

एक साल पूरा होने के बाद, सभी लड़के अपने-अपने पौधे लेकर राजा के महल पहुँचे। राम को बहुत संकोच हो रहा था क्योंकि उसके गमले में एक भी पौधा नहीं था। लेकिन उसने सोचा कि वह झूठ नहीं बोलेगा और राजा को वही दिखाएगा जो सच है।

राजा ने सभी लड़कों के पौधे देखे। सभी के पास सुंदर और हरे-भरे पौधे थे, लेकिन राम के गमले में कुछ भी नहीं था। राजा ने जब राम से पूछा कि उसने क्या किया, तो राम ने सिर झुका कर कहा, “महाराज, मैंने पूरी कोशिश की, लेकिन मेरा बीज अंकुरित ही नहीं हुआ। मैं हर दिन उसे पानी देता था, उसकी देखभाल करता था, लेकिन कुछ भी नहीं उगा। मैं क्षमा चाहता हूँ।

राजा ने यह सुनकर मुस्कुराते हुए घोषणा की, “राम ही मेरा उत्तराधिकारी बनेगा।” सभी लड़के आश्चर्यचकित रह गए। राजा ने समझाया, “मैंने जो बीज दिए थे, वे सभी उबले हुए थे, जिनसे कोई भी पौधा नहीं उग सकता था। लेकिन सभी ने धोखा दिया और दूसरे पौधे को ले आये। केवल राम ने सच्चाई का पालन किया और वही सच्चा और ईमानदार व्यक्ति है।

इस अच्छी कहानी से सीख

इस प्रकार, राम की ईमानदारी और सच्चाई ने उसे राजा बना दिया। उसकी सच्चाई ने उसे सफलता दिलाई और पूरे राज्य को यह सिखाया कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है।

2. दूसरी स्टोरी – भलाई का फल

किसी समय की बात है, एक गाँव में मोहन नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह बहुत मेहनती और दयालु था। उसका मानना था कि सच्चे मन से की गई भलाई कभी बेकार नहीं जाती। मोहन रोज सुबह जल्दी उठकर खेतों में काम करता और जो भी फसल उगती, उसे गाँव में बेचकर अपना जीवनयापन करता।

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एक दिन, जब वह अपने खेत में हल चला रहा था, तो उसने देखा कि एक घायल कबूतर जमीन पर पड़ा था। मोहन को दया आ गई और वो कबूतर को उठाकर अपने घर ले गया। उसने उसकी देखभाल की, दवा लगाई और दाना-पानी दिया। कुछ दिनों में कबूतर सेहतमंद हो गया और उड़ने लायक हो गया।

जब वह ठीक हो गया, तो उड़ने से पहले उसने मोहन की झोपड़ी के ऊपर कुछ देर चक्कर लगाया और फिर उड़ गया। मोहन मुस्कुराया और अपने काम में लग गया। उसने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा।

कुछ दिनों बाद, एक दिन सुबह मोहन अपने खेतों में काम कर रहा था कि उसने अपने घर के आंगन में एक चमकती हुई पोटली देखी। उसने उसे खोलकर देखा तो वह दंग रह गया, उसमें सोने के सिक्के थे। मोहन को समझ में नहीं आया कि यह किसने रखा होगा।

वह सिक्के लेकर गाँव के मुखिया के पास गया और पूरी बात बताई। मुखिया ने कहा, “मोहन, यह तुम्हारे अच्छे कर्मों का फल है। शायद जिस कबूतर की तुमने मदद की थी, वही तुम्हें इनाम दे गया है।

मोहन बहुत खुश हुआ लेकिन उसने निर्णय किया कि इन सिक्कों का उपयोग वह अपने गाँव के लोगों की भलाई के लिए करेगा। उसने गाँव में एक छोटा स्कूल और कुआँ बनवाया, जिससे गाँव के सभी लोगों का फायदा हुआ।

इस कहानी से शिक्षा

इस प्रकार, मोहन की भलाई और परोपकार का फल न केवल उसे, बल्कि पूरे गाँव को मिला। यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी का भला करो तो वो कभी बेकार नहीं जाता और सच्ची सेवा का फल ज़रूर मिलता है।

तीसरी कहानी – ईमानदारी का इनाम

एक समय की बात है, राजनगर नाम के एक शहर में रमेश नाम का एक गरीब लड़का रहता था। वह बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। रोज़ सुबह वह अपने पिता के साथ खेतों में काम करता और दोपहर को पढ़ाई करता।

Small Hindi story with moral
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एक दिन, जब वह स्कूल से लौट रहा था, तो रास्ते में उसे एक पर्स पड़ा मिला। पर्स में बहुत सारे सोने के सिक्के और कुछ दस्तावेज़ थे। रमेश समझ गया कि यह किसी अमीर व्यक्ति का हो सकता है।

वह तुरंत पास के पुलिस स्टेशन गया और पर्स जमा कर दिया। कुछ घंटे बाद, एक व्यापारी पुलिस स्टेशन आया और अपना खोया हुआ पर्स माँगा। जब पुलिस ने उसे पर्स लौटाया और बताया कि रमेश ने इसे ईमानदारी से लौटाया है, तो व्यापारी बहुत प्रभावित हुआ।

उस व्यापारी ने रमेश को इनाम में कुछ पैसे देने चाहे, लेकिन रमेश ने कहा, “ईमानदारी का इनाम ईमानदारी ही है। मुझे किसी इनाम की जरूरत नहीं है।

राजा को जब इस घटना का पता चला, तो उन्होंने रमेश को दरबार में बुलाया और उसकी ईमानदारी की तारीफ़ की। राजा ने उसे शिक्षा के लिए एक ख़ास छात्रवृत्ति दी, जिससे रमेश आगे पढ़कर एक बड़ा अधिकारी बना।

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Moral of the Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो ईमानदारी करता है उसके दिल को सुकून तो मिलता ही है, साथ में इनाम भी मिलता है, और सच्चे लोग हमेशा इज़्ज़त पाते हैं।

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