दादी अम्मा और भूखे खरगोशों की सोने से पहले की नैतिक कहानी

बहुत समय पुरानी बात है। एक घने और शांत जंगल में एक प्यारा सा खरगोश परिवार रहता था। उसमें पापा खरगोश, मम्मी खरगोश और उनके तीन नन्हे बच्चे, रिंकी, मिंकी, और चिंकू रहते थे। यह परिवार बहुत खुशहाल परिवार था। सब मिलकर घास खाते, फल इकट्ठा करते और बच्चों को कहानियाँ सुनाते।

पर अचानक जंगल में सूखा पड़ गया। जिससे खाने की चीजें कम होने लगीं। तभी जंगल में एक खतरनाक शेर, जिसका नाम गब्बर था आ गया । वह बहुत ही ग़ुस्से वाला और स्वार्थी शेर था। वह छोटे जानवरों को डराता, उनका खाना छीन लेता और उन्हें जंगल से निकाल देता।

खरगोश और जंगल की सोने से पहले की मोरल स्टोरी

खरगोश परिवार अब बहुत भूखा और डरा रहने लगा। दिन भर वे लोग खाना ढूंढते रहते लेकिन कुछ नहीं मिलता। एक दिन पापा खरगोश खाना खोजते खोजते दूर तक निकल गए। तभी रास्ते में गब्बर आ गया और पापा खरगोश को दौड़ाने लगा। पापा खरगोश जान बचाकर भागे और भागते-भागते जंगल के एक पुराने हिस्से में पहुँच गए।

वहाँ उनको एक छोटी सी झोंपड़ी दिखी। थककर और घायल होकर वे उसके सामने गिर पड़े।

उस झोंपड़ी में रहती थीं दादी अम्मा🧓, एक बुजुर्ग महिला जो जंगल में अकेली रहती थीं, दादी अम्मा की भी अपनी अलग स्टोरी है, जिसे मैंने इस पोस्ट अकेली दादी अम्मा की कहानी, में लिखा है। बूढ़ी दादी अम्मा जड़ी-बूटियों से इलाज करती थीं। उन्होंने जब पापा खरगोश को देखा, तो तुरंत उन्हें उठाया, झोंपड़ी में लाईं, घाव साफ किया, अच्छी सेवा की और गरम सूप पिलाया।

Hindi Story of Grandmother and Rabbits of Jungle
Hindi Story of Grandmother and Rabbits of Jungle

पापा खरगोश ने रोते हुए कहा,
“मेरे तीन छोटे छोटे बच्चे हैं, वो भी भूखे और डरे हुए हैं… हमें गब्बर से बचा लीजिए!”

दादी अम्मा ने प्यार से कहा,
“बेटा, डरने की ज़रूरत नहीं। अपने परिवार को यहाँ ले आओ। अब मैं तुम्हारी दादी हूँ और जब तक मैं हूँ, कोई तुम्हें तंग नहीं करेगा।”

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पापा खरगोश वापस गए और सारी बातें अपने परिवार को बताई। फिर अपनी पत्नी से राय-मश्वरा करके, अगले ही दिन पूरा परिवार दादी अम्मा के पास आ गया। दादी अम्मा ने उनके लिए एक छोटा सा बिल बनाया, दादी अम्मा ने अपने बागीचे में ताज़ी सब्जियाँ उगाईं थीं। इन्ही ताज़ी सब्जियों को हर दिन खरगोश परिवार को खिलाया और नन्हें खरगोश के बच्चों को रात को सोने से पहले कहानियाँ सुनाईं। रिंकी, मिंकी और चिंकू तो दादी से ऐसे घुल मिल गए जैसे वह उनकी सगी दादी हों।

अब खरगोश परिवार खुश था। लेकिन गब्बर को यह बात पसंद नहीं आई

🦁 गब्बर की धमकी

एक दिन गब्बर गुस्से से झोंपड़ी के पास पहुँचा और गरजते हुए बोला,
“बूढ़ी औरत! मेरे शिकार को छुपाना बंद कर! अभी के अभी उन्हें मेरे हवाले कर दो!”

दादी अम्मा बिना डरे बाहर आईं और अपनी छड़ी टेकते हुए बोलीं,
“गब्बर, क्या तुम्हें लगता है कि जानवरों को डराकर तुम सच्चा राजा बन सकते हो?”

गब्बर ने गुस्से से कहा,
“मैं ताकतवर हूं, जंगल मेरा है!”

दादी अम्मा मुस्कुराईं और बोलीं,
“सच्चा राजा वो होता है जो कमजोरों की रक्षा करता है, न कि उन्हें डराता है। ताकत केवल दूसरों को बचाने के लिए होनी चाहिए, मारने के लिए नहीं।”

गब्बर थोड़ी देर चुप रहा। उसे अपनी माँ की बातें याद आ गईं, जो बचपन में उसे सिखाती थीं कि
“दूसरों की सेवा में ही सच्चा बल है।”

गब्बर की आँखों में आंसू आ गए। उसने दादी अम्मा से कहा,
“मुझे माफ कर दो। मैं बदलना चाहता हूं।”

गब्बर शुरू से ऐसा नहीं था, लेकिन उसके साथ भी बुरा हुआ था, बचपन में ही शिकारी उसके माँ-बाप को कैद करके उससे अलग कर दिया। उसी वक़्त से गब्बर गुस्से वाला बन गया था।

अब दादी अम्मा की बात उसे फिर से उसकी माँ की याद दिलाती थी। यही वजह थी कि गब्बर सुधरना चाहता था।

दादी अम्मा ने उसे गले लगाया और कहा,
“जब तुम अपनी गलती मान लेते हो, तभी असली बहादुर बनते हो।”

उस दिन के बाद गब्बर ने शिकार करना बंद कर दिया। अब वह जंगल के सभी जानवरों की मदद करता, खाना बांटता और बच्चों के साथ खेलता। रिंकी, मिंकी और चिंकू उसकी पीठ पर चढ़कर झूला झूलते।

🌈 जंगल में फिर से प्यार

अब जंगल में डर नहीं, प्यार और दोस्ती का माहौल था। सभी जानवर खुश थे और दादी अम्मा को “जंगल की माँ” कहकर बुलाते थे।

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इस प्रेरणादायक कहानी से क्या सीख मिलती है?📚

  • दूसरों की मदद करना सबसे बड़ी ताकत होती है।
  • बुजुर्गों की बातें हमेशा सही मार्ग दिखाती हैं।
  • हर बुरा व्यक्ति बदल सकता है, अगर उसे सच्ची सीख मिल जाए।
  • डर से नहीं, प्यार से ही दुनिया चलती है।

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