समय यात्रा के जादुई सफर की कहानी – Time Travel Ki Hindi Kahani

Time Travel Ki Hindi Kahani: तो दोस्तों आज हम एक जिज्ञासु लड़के अंशु की टाइम ट्रेवल यानि समय यात्रा की कहानी पढ़ेंगे, और ये कहानी अपनी भाषा, हिंदी में पढ़ने का मज़ा लेंगे, तो अब बिना देर किये आराम से बैठ जाइये और कहानी का मज़ा लीजिये।

टाइम ट्रेवल की कहानी हिंदी में

छोटे से गाँव हिरणपुरवा में एक लड़का रहता था, जिसका नाम था अंशु। अंशु को नई-नई चीजें जानने और समझने का बड़ा शौक था। वह हर वक्त किताबों में डूबा रहता और वैज्ञानिक खोजों के बारे में पढ़ता रहता।

लेकिन उसके दादाजी की पुरानी घड़ी उसे हमेशा आकर्षित करती थी। घड़ी के बारे में कहा जाता था कि यह कई पीढ़ियों से उनके परिवार में है और इसमें कुछ खास रहस्य छिपा है।

एक दिन, जब अंशु अकेला घर पर था तब उसने दादाजी की अलमारी से वह घड़ी निकाली। घड़ी चमचमाती हुई दिख रही थी और इसके अंदर एक छोटा सा बटन था जो पहले उसने कभी नहीं देखा था। जिज्ञासा से भरे अंशु ने बटन दबा दिया। अचानक, चारों ओर एक तेज़ रोशनी फैल गई और उसे ऐसा महसूस हुआ कि जैसे वह किसी और ही दुनिया में पहुँच गया हो।

जब रोशनी कम हुई तो अंशु ने देखा कि वह एक बड़े से जंगल के बीच खड़ा है। पेड़-पौधे बहुत अलग और विशाल लग रहे थे। अचानक, उसकी मुलाकात एक छोटे से लड़के से हुई, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन ने अंशु को बताया कि यह जगह प्राचीन भारत का हिस्सा है, जहाँ लोग अभी भी राजाओं और राक्षसों की कहानियों में जीते हैं।

अर्जुन ने कहा, “तुम कौन हो और यहाँ कैसे आए?” अंशु ने पूरी बात बताई कि वह गलती से समय में पीछे आ गया है। अर्जुन ने कहा, “अगर तुम वापस अपने समय में लौटना चाहते हो, तो तुम्हें ज्ञानी पुरुष वशिष्ठ से मिलना होगा। वह तुम्हारी मदद कर सकते हैं।

समय यात्रा की कहानी

अंशु और अर्जुन दोनों ज्ञानी पुरुष वशिष्ठ के घर की ओर चल पड़े। रास्ते में उन्होंने बहुत सारे खूबसूरत जानवर और पक्षी देखे, जो अब उनके समय में नहीं मिलते थे। उन्होंने जंगल के बीच में एक बड़ी नदी भी पार की।

आखिरकार, वे ज्ञानी पुरुष वशिष्ठ के घर पहुँचे। वशिष्ठ ने अंशु की बात ध्यान से सुनी और मुस्कुराए। उन्होंने कहा, “यह घड़ी वास्तव में जादुई है, और इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए तुम्हें अपनी अक़्लमंदी और बहादुरी का उपयोग करना होगा।”

वशिष्ठ ने बताया कि घड़ी को फिर से सक्रिय करने के लिए उसे तीन चीज़ों की ज़रूरत होगी: एक प्राचीन मोती, एक दुर्लभ फूल, और एक चमकता पत्थर। ये तीनों चीज़ें अलग-अलग जगहों पर थीं और उन्हें लाना आसान नहीं था।

सबसे पहले, अंशु और अर्जुन को जाना था प्राचीन मोती के लिए, जो एक विशाल झील के तल में छिपा था। जब वे झील पर पहुँचे, तो वहाँ का पानी चमकदार और पारदर्शी था।

लेकिन जैसे ही वे मोती को निकालने की कोशिश करने लगे, झील का रक्षक एक बड़ा मछली जैसा जीव सामने आया। उसने कहा, “जो भी यह मोती चाहता है, उसे एक पहेली का उत्तर देना होगा।”

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मछली ने पूछा, “ऐसी कौन सी चीज़ है जो जितनी ज्यादा होती है, उतनी ही कम दिखती है?” अंशु ने थोड़ी देर सोचा और फिर कहा, “अंधकार।” मछली मुस्कुराई और मोती उन्हें दे दिया।

इसके बाद, उन्हें दुर्लभ फूल की खोज करनी थी, जो एक पहाड़ी की चोटी पर उगता था। पहाड़ी पर चढ़ाई करना आसान नहीं था। रास्ते में उन्हें तेज़ हवाओं और खतरनाक रास्तों का सामना करना पड़ा। लेकिन अर्जुन की हिम्मत और अंशु की समझदारी के बलबूते वे अंत में पहाड़ी की चोटी तक पहुँच गए। वहाँ उन्होंने वह दुर्लभ फूल पाया, जो सूरज की किरणों की तरह चमक रहा था।

अब अंतिम चुनौती थी चमकते पत्थर को खोजना, जो एक गुफा में छिपा हुआ था। गुफा के पास पहुँचते ही उन्हें अंदर से अजीब सी आवाज़ें सुनाई दीं। गुफा में एक दानव पहरा दे रहा था। उसने कहा, “अगर तुम इस पत्थर को चाहते हो, तो तुम्हें अपनी ताकत और बहादुरी दिखानी होगी।

दानव ने अंशु और अर्जुन को चुनौती दी कि वे एक विशाल चट्टान को हटाकर दिखाएँ। शिलाखंड बहुत भारी था, लेकिन अंशु ने अपनी समझदारी से एक लीवर का उपयोग किया और चट्टान को हटा दिया। दानव ने उनकी अक़्लमंदी की तारीफ की और उन्हें चमकता पत्थर दे दिया।

अब, तीनों चीज़ें उनके पास थीं। वे तुरंत वशिष्ठ के पास लौटे। ज्ञानी पुरुष ने उन चीज़ों को घड़ी के साथ जोड़कर मंत्र पढ़ा और कहा, “अब यह घड़ी तुम्हें वापस तुम्हारे समय में ले जाएगी।”

अंशु ने अर्जुन से विदा ली और उसे धन्यवाद दिया। जैसे ही उसने घड़ी का बटन दबाया, फिर से तेज़ रोशनी हुई और अंशु वापस अपने घर आ गया। उसने देखा कि घड़ी अब भी उसकी हथेली में थी, लेकिन वह अब सामान्य घड़ी की तरह लग रही थी।

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उस दिन से, अंशु ने यह सीखा कि जिज्ञासा और साहस के साथ अगर हम अपने मकसद को पाने के लिए लगे रहें, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती। यह जादुई सफर अंशु के लिए हमेशा एक प्रेरणा बना रहा और उसने भविष्य में विज्ञान के क्षेत्र में कई अच्छी खोजें कीं।

नोट – दोस्तों ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है यानि इसका असल दुनिया से कोई नाता नहीं है, इसे सिर्फ मनोरंजन और नैतिक शिक्षा के लिए बनाया गया है।

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें से सीख मिलती हैं कि यदि कोई मुसीबत में हो तो हमें भी अर्जुन की तरह मदद करनी चाहिए और अंशु के तरह ही साहसी और जिज्ञासु होना चाहिए।

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