बच्चों की रात की कहानियां उनकी भाषा और नए शब्द सीखने की क्षमता बढ़ाती है। रात में सोने से पहले कहानियां सुनने से बच्चों की कल्पना शक्ति तेज होती है और वे नई चीजें सोचने और समझने लगते हैं। इससे माँ-बाप और बच्चों के बीच प्यार और भरोसा बढ़ता है, जिससे बच्चे सुरक्षित और खुश महसूस करते हैं। साथ ही, रोज़ कहानी सुनने से उनकी सोने की अच्छी आदत बनती है और वे आसानी से सो पाते हैं।
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बच्चों की रात की कहानियां – चूहों का संघर्ष
किसी समय की बात है, एक घना जंगल था जहाँ कई जीव-जंतु रहते थे। उसी जंगल में चूहों का एक बड़ा समूह (group) भी रहता था। वे पेड़ों की जड़ों और छोटे-छोटे गड्ढों में अपने घर बनाकर रहते थे। उनका जीवन कठिन था क्योंकि उन्हें हमेशा खाने की तलाश में रहना पड़ता था और बड़े जानवरों से भी बचकर रहना पड़ता था।
चूहों का यह समूह अक्सर भूखा रहता था। जंगल में भोजन खोजना आसान नहीं था, और जो भी थोड़ा-बहुत मिल पाता, वो उनके पूरे समूह के लिए काफी नहीं होता। कई बार उन्हें बड़े जानवरों से भी खतरा रहता था। सबसे बड़ा खतरा जंगल में रहने वाले साँपों, उल्लुओं और लोमड़ियों से था, जो चूहों को अपना शिकार बनाते थे।
चूहों का नेता, बूढ़ा चूहा बहुत बुद्धिमान था। वो हमेशा अपने समूह को प्रेरित करता और उन्हें सिखाता कि केवल मेहनत और समझदारी से ही वे जीवित रह सकते हैं। लेकिन युवा चूहे अक्सर अधीर हो जाते और जल्दबाजी में गलतियाँ कर बैठते, जिससे वे खतरे में पड़ जाते थे।
एक दिन बूढ़े चूहे ने अपने समूह को इकट्ठा किया और कहा, “हमें भोजन और सुरक्षा दोनों के लिए कुछ नया सोचना होगा। अगर हम यूँ ही जंगल में भटकते रहेंगे, तो या तो हम भूख से मर जाएंगे या फिर किसी शिकारी का शिकार बन जाएंगे। हमें एक ऐसी जगह ढूँढनी होगी, जहाँ हमें नियमित रूप से खाना मिले और हम सुरक्षित भी रहें।”
सब चूहे इस बात से सहमत हुए। उन्होंने मिलकर योजना बनाई कि वे जंगल के किनारे वाले गाँव में जाएँगे और वहाँ रहने की कोशिश करेंगे।
कहानी में गाँव की कठिनाइयाँ
गाँव में पहुँचने के बाद चूहों को नए तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वहाँ बिल्ली, इंसान और चूहेदानी जैसे नए खतरे थे। लेकिन यहाँ उन्हें खाने की कोई कमी नहीं थी। चावल, गेहूँ, सब्जियाँ सब कुछ आसानी से मिल सकता था।
बूढ़े चूहे ने सलाह दी, “हमें बहुत सतर्क रहना होगा। हमें समझदारी से काम लेना होगा ताकि हम इंसानों से बच सकें और बिल्लियों के चंगुल में न फँसें।“
युवा चूहों ने ध्यान से बूढ़े चूहे की बात मानी और ग्रुप में काम बाँट लिया। कुछ चूहे खाने की तलाश में जाते, कुछ पहरेदारी करते और कुछ चूहे घर बनाने में जुटे रहते। धीरे-धीरे उनका जीवन सही होने लगा।
सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन तभी गाँव के लोगों ने ये देख लिया कि उनके घरों में चूहे बहुत ज्यादा हो गए हैं। उन्होंने चूहों को पकड़ने के लिए कई तरह के उपाय किए जैसे – चूहेदानी लगाई, ज़हर रखा और यहाँ तक कि गाँव में और भी बिल्लियाँ ले आए।
चूहों के लिए ये एक बड़ा संकट था। कई चूहे इन जालों में फँस गए। ग्रुप में डर और घबराहट फैल गई। तब बूढ़े चूहे ने सबको इकट्ठा किया और कहा, “डरने से कुछ नहीं होगा। हमें मिलकर इस समस्या का हल निकालना होगा। हमें अब पहले से भी ज्यादा सतर्क रहना होगा और अपनी योजना बदलनी होगी।”
समझदारी और एकता की ताकत
अब चूहों ने नई रणनीति बनाई। उन्होंने तय किया कि वे रात में ही बाहर निकलेंगे, और एक चूहा हमेशा पहरा देगा। अगर कोई खतरा हुआ, तो पहरा देने वाला चूहा बाकी साथियों को तुरंत इशारा कर देगा।
धीरे-धीरे उनकी ये योजना काम करने लगी। चूहे अब गाँव में सुरक्षित रहने लगे। वे समझ गए थे कि केवल एकता और समझदारी से ही वे इस मुश्किल जीवन में सफल हो सकते हैं।
इस कहानी से शिक्षा और प्रेरणा
ये कहानी हमें शिक्षा देती है कि जीवन में कठिनाइयाँ आती रहेंगी, लेकिन अगर हम सब्र, समझदारी और एकता से काम लें, तो किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। चूहों ने अपने संघर्ष से ये साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियाँ भी हमें मजबूत बनाती हैं और अगर हम हार नहीं मानते, तो सफलता ज़रूर मिलती है।
इस प्रकार, चूहों ने अपने संघर्ष से सीखा कि केवल भोजन खोजना ही जीवन नहीं है, बल्कि सुरक्षा और समझदारी से जीना भी उतनी ही ज़रूरी है।
“संघर्ष ही जीवन है, और जो इससे नहीं डरता, वही सफल होता है।”
2. गाँव के एक लड़के की कहानी
एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम मोहन था। मोहन एक साधारण सा लड़का था, लेकिन उसमें कुछ खास था। वो हमेशा अपनी मदद से दूसरों का भला करने की सोचता था। मोहन का दिल बहुत बड़ा था, और वो हमेशा सोचा करता था कि अगर वो किसी की मदद कर सकता है, तो उसे करना चाहिए।

गाँव में कई लोग थे जो अपनी-अपनी मुश्किलों से जूझ रहे थे। एक तरफ किसानों की फसलें सूखने लगी थीं, तो दूसरी तरफ लोग बीमारियाँ और तंगहाली से परेशान थे। मोहन के माता-पिता बहुत ही मेहनती और अच्छे लोग थे, लेकिन उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वे दूसरों की मदद कर सकें। फिर भी मोहन को हमेशा ये सिखाया गया था कि सच्ची मदद पैसों से नहीं, दिल से की जाती है।
एक दिन गाँव में भारी बारिश हुई और इसके साथ आई तेज हवाएँ। पूरी रात बारिश होती रही, और अगले दिन गाँव का पूरा रास्ता कीचड़ से भर गया। गाँव के लोग परेशान हो गए क्योंकि अब वे अपनी रोज़ की ज़रूरतों के लिए बाज़ार नहीं जा सकते थे। मोहन ने ये स्थिति देखी और उसने ठान लिया कि वो गाँव वालों की मदद करेगा।
वह सुबह-सुबह उठा और अपनी टूटी-फूटी साइकिल पर बैठकर पूरे गाँव में घूमने लगा। सबसे पहले उसने गाँव के बुजुर्गों से पूछा कि क्या वे किसी मदद की ज़रूरत महसूस कर रहे हैं। बुजुर्गों ने बताया कि सड़क पर कीचड़ जम गया है और वे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे। मोहन ने सोचा, “अगर ये लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो हमें सड़क साफ करनी होगी।“
वह एक छोटी सी बांस की छड़ी लेकर सड़क पर गया और वहाँ के मलबे को हटाने लगा। शुरुआत में यह काम बहुत मुश्किल था, लेकिन मोहन ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उसने सड़क को साफ किया, ताकि गाँव के लोग आसानी से आ जा सकें। इस बीच, कुछ और बच्चे भी उसके साथ जुड़ गए और वे भी मोहन की मदद करने लगे। इस तरह, एक छोटे से लड़के ने पूरे गाँव को एकजुट किया और मुश्किल से मुश्किल काम को आसान बना दिया।
इसी दौरान, गाँव में एक और समस्या सामने आई। बारिश के कारण कुछ घरों की छतें टूट गई थीं और उनके अंदर पानी घुसने लगा था। लोग अपनी समस्याओं को लेकर परेशान थे। मोहन ने तुरंत उनकी मदद करने की ठानी।
वो गाँव के हर घर में गया और लोगों से पूछा कि क्या वे उसकी मदद चाहते हैं। कई लोग इस बात पर हताश हो गए थे कि उनके पास ठीक से मरम्मत के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन मोहन ने सबको भरोसा दिलाया कि वो उनकी मदद करेगा।
मोहन ने गाँव से कुछ मजबूत लकड़ियाँ इकट्ठा कीं और उनसे छतों को सही किया। उसने गाँव के कुछ और लड़कों को भी अपनी टीम में शामिल कर लिया और सब मिलकर छतों को ठीक करने में लग गए। मोहन ने ये साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो और दिल में सेवा की भावना हो, तो कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।
कुछ दिन बाद, गाँव में एक और समस्या सामने आई। एक किसान के खेत में अचानक आग लग गई थी और फसल जलकर राख हो गई थी। किसान बहुत परेशान था, क्योंकि उसकी पूरी फसल इस आग में खत्म हो गई थी। मोहन ने महसूस किया कि इस समय उस किसान को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से मदद की जरूरत है।
उसने गाँव के लोगों को इकठ्ठा किया और सबने मिलकर उस किसान को राहत पहुँचाने के लिए अपनी मदद दी। कुछ लोगों ने उस किसान को नए बीज दिए, कुछ ने उसे खेती के लिए उपकरणों से मदद की, और कुछ ने उसेहौंसला दिलाया कि वो हार न माने। मोहन ने उस किसान को बताया कि ये समय कड़ी मेहनत और हिम्मत का है, और किसान को फिर से अपनी फसल उगाने का हौसला दिलाया।
गाँव के लोग मोहन की मदद से बहुत खुश हुए और उन्होंने उसे असली हीरो की तरह इज़्ज़त दी। मोहन को ये समझ में आ गया था कि सच्ची मदद पैसों से नहीं, बल्कि दिल से की जाती है। उसने यह भी सीखा कि एक अकेला आदमी बहुत कुछ नहीं कर सकता, लेकिन जब लोग मिलकर काम करते हैं, तो बड़े से बड़ा काम भी आसान हो जाता है।
आखिर में, मोहन ने ये साबित किया कि असली हीरो वो नहीं होता जो किसी युद्ध में जीतता है, बल्कि वो होता है जो अपने आसपास के लोगों की मदद करके उन्हें बेहतर जीवन जीने की दिशा दिखाता है। मोहन का दिल बड़ा था और उसने अपनी मदद से पूरे गाँव के जीवन को बेहतर बना दिया।
कहानी से सीख
इस नैतिक कहानी से ये सिखने को मिलता है कि सच्ची मदद दिल से की जाती है, और एक व्यक्ति का प्रयास पूरे समाज के लिए फायदेमंद हो सकता है। हमें अपने आस-पास के लोगों की मदद करनी चाहिए, ताकि हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकें।
3. चिड़ीया और राजा की नैतिक कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव के पास एक घना जंगल था। उस जंगल में कई तरह के जानवर और पक्षी रहते थे। लेकिन जंगल का सबसे प्यारा और समझदार पक्षी था एक छोटी सी चिड़ीया। उसका नाम था ‘प्यारी‘। वो बहुत चंचल और नटखट थी, लेकिन साथ ही वो दूसरों की मदद करने में भी हमेशा आगे रहती थी।

एक दिन, गाँव में एक बड़ा संकट आ गया। राजा के महल में एक भारी समस्या उत्पन्न हो गई थी। राजा का प्रिय बगीचा, जहाँ वो हमेशा अपनी शांति और सुख का समय बिताते थे, एक विशाल पेड़ के गिरने से पूरी तरह से नष्ट हो गया था। राजा बहुत परेशान हो गए। वो जानते थे कि अगर बगीचा फिर से ठीक नहीं हुआ तो उनका मन अशांत रहेगा, और उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है।
राजा ने महल के सभी प्रमुख लोगों को बुलाया और कहा, “हमें इस बगीचे को फिर से ठीक करना होगा, लेकिन ये काम बहुत कठिन है। कोई भी तरीका मेरे दिमाग में नहीं आ रहा है।“
सभी मंत्री और दरबारी चुप थे, क्योंकि उन्हें कोई समाधान नहीं सूझ रहा था। तभी अचानक महल के आंगन में एक छोटी सी चिड़ीया आई। वह प्यारी चिड़ीया थी, जो जंगल से उड़ते हुए महल तक पहुंची थी। उसकी आँखों में एक चमक थी और वो राजा के पास जाकर बोली, “महाराज, मुझे लगता है कि मैं आपकी मदद कर सकती हूँ।”
राजा ने हैरान होकर उस छोटी चिड़ीया की तरफ देखा और कहा, “तुम? तुम तो बहुत छोटी हो। तुम इस विशाल बगीचे को ठीक कैसे कर सकती हो?“
प्यारी चिड़ीया हंसते हुए बोली, “राजा साहब, आकार में भले ही छोटी हूँ, लेकिन मेरा दिल बहुत बड़ा है और मैं जानती हूँ कि मुझे क्या करना है। मैं इस बगीचे की मदद कर सकती हूँ।“
राजा और उनके दरबारियों को चिड़ीया की बात पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन क्योंकि किसी और के पास कोई समाधान नहीं था, राजा ने उसकी मदद स्वीकार कर ली।
प्यारी चिड़ीया ने सबसे पहले बगीचे के उस स्थान को देखा जहाँ पेड़ गिरा था। उसने चारों ओर उड़ते हुए देखा कि बगीचे में बहुत सारे छोटे पौधे और फूल थे, जिन्हें बगीचे में सुंदरता देने के लिए पौधों की ज़रूरत थी। लेकिन वो देख रही थी कि बिना पेड़ के, सूर्य की तेज़ रौशनी ने इन पौधों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया था।
चिड़ीया ने सोचा और फिर एक योजना बनाई। वह अगले दिन जंगल में अपने दोस्तों को बुलाने गई। उसने वहां के दूसरे पक्षियों, जैसे तोता, कबूतर, और बगुले को इकठ्ठा किया और उन्हें बताया कि उन्हें राजा के बगीचे को फिर से हरा-भरा बनाना है।
सभी पक्षी चिड़ीया की बातों से प्रभावित हुए और अपनी मदद देने के लिए तैयार हो गए। फिर एक-एक करके वे बगीचे में पौधे लाने लगे। छोटे-छोटे बीज उन्होंने बगीचे के खाली हिस्सों में लगाए। कुछ पक्षी बगीचे में हवा देने के लिए उड़ते रहे, ताकि धूप की तपिश कम हो सके और पौधे सुरक्षित रहें।
कुछ ही दिनों में, बगीचे की हालत बदलने लगी। बीजों से नए पौधे उगने लगे, और पक्षियों ने उन्हें पानी और देखभाल देना शुरू किया। राजा और उनके मंत्री हैरान थे कि एक छोटी सी चिड़ीया ने ये कर दिखाया।
राजा ने प्यारी चिड़ीया को पहले धन्यवाद किया और फिर कहा, “तुमने ये कर दिखाया है, जो हम सब नहीं कर पाए। तुमने हमें ये सिखाया है कि आकार और ताकत से अधिक महत्वपूर्ण दिल और मेहनत होती है। तुम्हारी मदद से बगीचा फिर से हरा-भरा हो गया है।“
चिड़ीया हंसते हुए बोली, “महाराज, छोटी सी मदद से बड़ा बदलाव आता है। अगर सभी एक साथ मिलकर काम करें, तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं होती।”
राजा ने चिड़ीया के साथ-साथ सभी पक्षियों को भी धन्यवाद दिया और उन्हें महल में एक खास स्थान दिया। उसने सबको ये सिखाया कि कभी भी किसी की मदद को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी छोटी मदद भी बड़े बदलाव ला सकती है।
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बच्चों के लिए रात की कहानी से सीख
इस तरह, राजा और उसकी प्रजा ने ये सीखा कि किसी भी समस्या का समाधान अगर दिल से किया जाए, तो वो निश्चित रूप से सफल होता है। और प्यारी चिड़ीया, जो एक छोटी सी जानवर थी, ने अपनी बुद्धिमानी और दिल से मदद करने की कोशिश से पूरे महल को खुश कर दिया।