3+ अच्छी-अच्छी नैतिक कहानियां | Hindi Long Stories with Moral

Hindi Long Stories with Moral में हम 3 नैतिक शिक्षा वाली अच्छी अच्छी कहानियां पढ़ने वाले हैं। मोरल स्टोरीज पढ़ने से हमें कई अच्छी बातें पता चलती हैं, जिनका हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव होता है, और तो और हमारी हिंदी रीडिंग भी अच्छी होती है। तो अब बिना देर किये पढ़ते हैं इन मज़ेदार नैतिक कहानियों को।

1. नन्हें बगुले का बिछड़ना – एक प्यारी और सीख देने वाली कहानी

एक बार की बात है। सर्दी आने वाली थी, इसलिए सफेद बगुलों का पूरा झुंड एक नई जगह पर अपना घर बनाने के लिए जा रहा था।
सब आसमान में लाइन बनाकर उड़ रहे थे।
उन्हीं के बीच एक छोटा-सा बच्चा बगुला था – चिन्नू

चिन्नू अभी ठीक से उड़ना नहीं सीख पाया था।
कभी दाएँ झुक जाता, कभी नीचे गिरने लगता।
पर उसकी माँ सुरभि और पापा वीर हमेशा उसके पास ही उड़ते।
माँ प्यार से बोलती,
“धीरे-धीरे सीख जाएगा, बेटा… बस कोशिश करता रह।”

गिद्ध का हमला

यात्रा चल रही थी कि ऊपर से एक बड़ा काला गिद्ध झपट्टा मारने लगा।
पूरा झुंड डर गया और इधर-उधर भागने लगा।

सुरभि ने चिन्नू को अपने पंखों से ढँक लिया।
वीर ने जोर से कहा, “ध्यान रखना सुरभि! चिन्नू को संभालो!”

लेकिन भगदड़ में बेचारा चिन्नू का संतुलन बिगड़ गया और वह नीचे गिरने लगा।
जब उसने आँख खोली, तो देखा…

माँ-पापा… और पूरा झुंड… कहीं नहीं दिख रहा था।

उसका छोटा-सा दिल धक-धक करने लगा।
वह बिलकुल अकेला रह गया था।

चिन्नू नीचे एक रेलवे स्टेशन के पास गिरा था।
चारों तरफ शोर, आवाज़ें, धुआँ…
वह घबरा गया।

तभी एक भारी-सी गुड्स ट्रेन धीरे-धीरे चलने लगी।
डर के मारे चिन्नू सीधे एक खुले डिब्बे में कूद गया,
सोचकर कि शायद यह उसे उसी दिशा में ले जाए जहाँ उसका झुंड गया होगा।

डिब्बे के अंदर अँधेरा था, बड़े-बड़े बोरे पड़े थे।
चिन्नू थर-थर काँप रहा था।
रात भर वह बस यही सोचता रहा –
“माँ मुझे ढूँढ रही होगी… पापा भी परेशान होंगे…”

बिल्ली और कुत्तों से जान बचाना

सुबह ट्रेन रुकते ही चिन्नू पानी पीने एक गली में गया।
उसे क्या पता था कि यहाँ खतरा ही खतरा है।

एक भूखी काली बिल्ली उसे घूर रही थी।
जैसे ही चिन्नू ने पानी पिया, बिल्ली उस पर झपटी।
चिन्नू किसी तरह उड़कर थोड़ी दूर जा बैठा।

लेकिन तभी चार-पाँच सड़क के कुत्ते उसकी तरफ दौड़ पड़े।
चिन्नू डर के मारे जितना उड़ सकता था, उतना उड़कर छिप गया।
उसकी आँखों में आँसू आ गए।

वह सोचने लगा,
“काश माँ-पापा यहाँ होते… मैं अकेला कैसे पहुँचूँगा…”

तभी एक छोटी सी लड़की वहाँ से गुजरी-एना
उसने देखा कि एक छोटा-सा सफेद बगुला कोने में बैठा कांप रहा है।

वह धीरे से बोली,
“अरे छोटे… डरो मत। मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगी।”

उसकी आवाज़ इतनी प्यारी थी कि चिन्नू ने डरते-डरते आँखें खोलीं।
एना ने पानी पिलाया, ब्रेड का टुकड़ा दिया,
और प्यार से पूछा,
“तुम अकेले हो? तुम्हारा घर कहाँ है?”

चिन्नू कुछ बोल तो नहीं सकता था,
पर उसने आसमान की तरफ देखा और अपने पंख फैलाए।
एना समझ गई-
ओह! तुम्हारा परिवार ऊपर उड़कर कहीं जा रहा था, है न?”

वह मुस्कुराई,
चलो, मैं तुम्हें वहाँ पहुँचने में मदद करूँगी।

एना ने चिन्नू को अपनी छोटी-सी टोकरी में रखा
और अपने पापा की साइकिल के पीछे बैठ गई।

उसके पापा पास के शहर जा रहे थे,
और बगुले हर साल वहीं वाली बड़ी झील पर रहते थे।
रास्ता लंबा था
कभी झटका, कभी धूल, कभी हवा…
पर एना बार-बार चिन्नू को सहलाती और कहती,

बस थोड़ा और… अपने माँ-पापा से मिल जाओगे।

🤍 आखिरकार मिलन का पल

जब वे झील पर पहुँचे,
चिन्नू धीरे-धीरे उड़कर किनारे गया।

और तभी-
“चिन्नू!!!”

माँ सुरभि और पापा वीर दोनों भागते हुए आए।
सुरभि ने उसे कसकर अपने पंखों से ढँक लिया।
वीर की आँखों में भी चमक और खुशी थी।

“हमने तुम्हें हर जगह ढूँढा… हमें बहुत डर लग रहा था…”
सुरभि की आँखें नम हो गईं।

Moral Story of Heron Bird and His Family
Moral Story of Heron Bird and His Family

चिन्नू भी उनके सीने से लगा रहा,
जैसे कह रहा हो
“मैं वापस आ गया, माँ…”

एना थोड़ी दूर खड़ी मुस्कुरा रही थी।
सुरभि और वीर उसके पास उड़कर गए-अपनी चहचहाहट से उसे धन्यवाद कहा।
एना ने हाथ हिलाया,
“अलविदा छोटे… खुश रहना।”

कहानी से सीख (Moral)

“किसी की छोटी-सी मदद भी किसी की ज़िंदगी बदल सकती है।
मदद करने से हम खुद भी अच्छे इंसान बनते हैं।”

और एक और सीख-
“परिवार का प्यार सबसे बड़ी ताकत होता है।”

2. सच्चाई की जीत | Moral Story

बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में राम नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत गरीब था, लेकिन उसकी ईमानदारी और सच्चाई की हर कोई सराहना करता था। उसके माता-पिता उसे सिखाते थे कि हमेशा सच बोलो और ईमानदारी से जीवन जिओ। राम इन शिक्षाओं का पालन करता था और कभी झूठ नहीं बोलता था।

Hindi Long Stories with Moral
Story of honesty in Hindi

गाँव के पास ही एक बड़ा नगर था, जहाँ का राजा बहुत न्यायप्रिय था। वह हमेशा अपने राज्य के लिए एक सच्चा और ईमानदार उत्तराधिकारी ढूँढने की कोशिश करते रहता था। राजा की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उसने निश्चय किया कि वह अपने राज्य के लिए एक योग्य व्यक्ति को उत्तराधिकारी यानि अगला राजा बनाएगा। उसने पूरे राज्य में घोषणा करवाई कि जो भी व्यक्ति ईमानदारी की परीक्षा में सफल होगा, वही उसका उत्तराधिकारी बनेगा।

राजा ने घोषणा की कि सभी युवा लड़कों को महल में बुलाया जाएगा और उन्हें एक बीज दिया जाएगा। यह बीज उन्हें अपने घर में लगाकर एक साल तक उसकी देखभाल करनी होगी। जो भी लड़का सबसे सुंदर और हरा-भरा पौधा उगाएगा, वही राजा का उत्तराधिकारी बनेगा

राम को भी यह खबर मिली और वह भी महल पहुँचा। वहाँ अन्य लड़कों की तरह उसे भी एक बीज मिला। वह बड़े उत्साह से घर आया और उसने मिट्टी को अच्छे से तैयार कर उसमें वह बीज लगा दिया। उसने रोज उस पौधे को पानी दिया और उसकी देखभाल की।

समय बीतता गया, लेकिन राम के गमले में कोई पौधा नहीं उगा। वह बहुत चिंतित था, लेकिन उसने हार नहीं मानी और रोज उस बीज की देखभाल करता रहा। इधर, अन्य सभी लड़कों के गमलों में सुंदर-सुंदर पौधे उग आए थे। वे बहुत खुश थे और अपने पौधों को राजा को दिखाने के लिए उत्साहित थे।

एक साल पूरा होने के बाद, सभी लड़के अपने-अपने पौधे लेकर राजा के महल पहुँचे। राम को बहुत संकोच हो रहा था क्योंकि उसके गमले में एक भी पौधा नहीं था। लेकिन उसने सोचा कि वह झूठ नहीं बोलेगा और राजा को वही दिखाएगा जो सच है।

राजा ने सभी लड़कों के पौधे देखे। सभी के पास सुंदर और हरे-भरे पौधे थे, लेकिन राम के गमले में कुछ भी नहीं था। राजा ने जब राम से पूछा कि उसने क्या किया, तो राम ने सिर झुका कर कहा, “महाराज, मैंने पूरी कोशिश की, लेकिन मेरा बीज अंकुरित ही नहीं हुआ। मैं हर दिन उसे पानी देता था, उसकी देखभाल करता था, लेकिन कुछ भी नहीं उगा। मैं क्षमा चाहता हूँ।

राजा ने यह सुनकर मुस्कुराते हुए घोषणा की, “राम ही मेरा उत्तराधिकारी बनेगा।” सभी लड़के आश्चर्यचकित रह गए। राजा ने समझाया, “मैंने जो बीज दिए थे, वे सभी उबले हुए थे, जिनसे कोई भी पौधा नहीं उग सकता था। लेकिन सभी ने धोखा दिया और दूसरे पौधे को ले आये। केवल राम ने सच्चाई का पालन किया और वही सच्चा और ईमानदार व्यक्ति है।

इस अच्छी Story से सीख

इस प्रकार, राम की ईमानदारी और सच्चाई ने उसे राजा बना दिया। उसकी सच्चाई ने उसे सफलता दिलाई और पूरे राज्य को यह सिखाया कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है।

3. भलाई का फल | Story with Moral

किसी समय की बात है, एक गाँव में मोहन नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह बहुत मेहनती और दयालु था। उसका मानना था कि सच्चे मन से की गई भलाई कभी बेकार नहीं जाती। मोहन रोज सुबह जल्दी उठकर खेतों में काम करता और जो भी फसल उगती, उसे गाँव में बेचकर अपना जीवनयापन करता।

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Hindi Long Stories with Moral

एक दिन, जब वह अपने खेत में हल चला रहा था, तो उसने देखा कि एक घायल कबूतर जमीन पर पड़ा था। मोहन को दया आ गई और वो कबूतर को उठाकर अपने घर ले गया। उसने उसकी देखभाल की, दवा लगाई और दाना-पानी दिया। कुछ दिनों में कबूतर सेहतमंद हो गया और उड़ने लायक हो गया।

जब वह ठीक हो गया, तो उड़ने से पहले उसने मोहन की झोपड़ी के ऊपर कुछ देर चक्कर लगाया और फिर उड़ गया। मोहन मुस्कुराया और अपने काम में लग गया। उसने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा।

कुछ दिनों बाद, एक दिन सुबह मोहन अपने खेतों में काम कर रहा था कि उसने अपने घर के आंगन में एक चमकती हुई पोटली देखी। उसने उसे खोलकर देखा तो वह दंग रह गया, उसमें सोने के सिक्के थे। मोहन को समझ में नहीं आया कि यह किसने रखा होगा।

वह सिक्के लेकर गाँव के मुखिया के पास गया और पूरी बात बताई। मुखिया ने कहा, “मोहन, यह तुम्हारे अच्छे कर्मों का फल है। शायद जिस कबूतर की तुमने मदद की थी, वही तुम्हें इनाम दे गया है।

मोहन बहुत खुश हुआ लेकिन उसने निर्णय किया कि इन सिक्कों का उपयोग वह अपने गाँव के लोगों की भलाई के लिए करेगा। उसने गाँव में एक छोटा स्कूल और कुआँ बनवाया, जिससे गाँव के सभी लोगों का फायदा हुआ।

इस कहानी से शिक्षा

इस प्रकार, मोहन की भलाई और परोपकार का फल न केवल उसे, बल्कि पूरे गाँव को मिला। यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी का भला करो तो वो कभी बेकार नहीं जाता और सच्ची सेवा का फल ज़रूर मिलता है।

ईमानदारी का इनाम

एक समय की बात है, राजनगर नाम के एक शहर में रमेश नाम का एक गरीब लड़का रहता था। वह बहुत ही ईमानदार और मेहनती था। रोज़ सुबह वह अपने पिता के साथ खेतों में काम करता और दोपहर को पढ़ाई करता।

Small Hindi story with moral
Small Hindi story with moral

एक दिन, जब वह स्कूल से लौट रहा था, तो रास्ते में उसे एक पर्स पड़ा मिला। पर्स में बहुत सारे सोने के सिक्के और कुछ दस्तावेज़ थे। रमेश समझ गया कि यह किसी अमीर व्यक्ति का हो सकता है।

वह तुरंत पास के पुलिस स्टेशन गया और पर्स जमा कर दिया। कुछ घंटे बाद, एक व्यापारी पुलिस स्टेशन आया और अपना खोया हुआ पर्स माँगा। जब पुलिस ने उसे पर्स लौटाया और बताया कि रमेश ने इसे ईमानदारी से लौटाया है, तो व्यापारी बहुत प्रभावित हुआ।

उस व्यापारी ने रमेश को इनाम में कुछ पैसे देने चाहे, लेकिन रमेश ने कहा, “ईमानदारी का इनाम ईमानदारी ही है। मुझे किसी इनाम की जरूरत नहीं है।

राजा को जब इस घटना का पता चला, तो उन्होंने रमेश को दरबार में बुलाया और उसकी ईमानदारी की तारीफ़ की। राजा ने उसे शिक्षा के लिए एक ख़ास छात्रवृत्ति दी, जिससे रमेश आगे पढ़कर एक बड़ा अधिकारी बना।

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Moral of the Story in Hindi

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो ईमानदारी करता है उसके दिल को सुकून तो मिलता ही है, साथ में इनाम भी मिलता है, और सच्चे लोग हमेशा इज़्ज़त पाते हैं।

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